30 जुलाई 2012
नई दिल्ली। फिल्म निर्माता केतन मेहता का कहना है कि भारतीय एनीमेशन उद्योग विकास के पथ पर है। यहां न सिर्फ प्रतिभा का भंडार और सस्ता श्रम मौजूद है, बल्कि भारत के पास पौराणिक कहानियों और लोक कथाओं का भी विशाल भंडार है, जिसे आधुनिक तरीकों से फिर से प्रस्तुत किया जा सकता है। मेहता का मानना है कि आने वाला समय अपनी मौलिक सामग्री का है।
रामायण को 3डी में प्रस्तुत करने वाले मेहता ने कहा, "हमें अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों को सिर्फ श्रम उपलब्ध कराने से आगे बढ़कर अपनी मूल सामग्री प्रस्तुत करने की दिशा में बढ़ना होगा। इसी में एनीमेशन उद्योग का भविष्य छिपा है।"
मेहता अब हिंदुओं के देवता भगवान राम के दो वीर पुत्रों लव और कुश की कहानी 'संस ऑफ राम : हीरोज विल राइज' पर काम कर रहे हैं। मेहता ने कहा कि ऐसी ही पौराणिक कहानियां देश के नवजात एनीमेशन उद्योग को आगे बढ़ाएंगी।
उन्होंने कहा, "भारत में एनीमेशन अभी भी शैशवावस्था में है, लेकिन इसका तेजी से विकास हो रहा है।"
मेहता ने कहा, "दुर्भाग्य से पहले कई निम्नस्तरीय एनीमेशन फिल्मों का निर्माण हुआ, जिससे देश में एनीमेशन की सम्भावना कुंठित हुई। लेकिन अब गुणवत्ता बेहतर हो रही है। मुझे लगता है कि अब यह कुलांचे भरने वाली है।"
वर्ष 2011 की एक फिक्की-केपीएमजी रिपोर्ट के मुताबिक 2015 तक भारतीय एनीमेशन उद्योग 47 करोड़ डॉलर का हो जाएगा। मेहता के मुताबिक मानव संसाधन की उपलब्धता और भारतीय पारम्परिक कहानियों को देखते हुए यह लक्ष्य हासिल हो सकता है।
उन्होंने कहा, "भारत के पास कहानियों का भंडार है। इसे एनीमेशन में प्रस्तुत किया जा सकता है। मुझे एनीमेशन उद्योग के विकास नहीं करने का कोई कारण समझ में नहीं आता है। पिछले साल हमने 3डी फिल्म 'रामायण : द एपिक' रिलीज किया था। इसे सर्वोत्तम एनीमेशन फिल्मों में से एक बताया गया था। मुझे कुल मिलाकर लगता है कि देश में एनीमेशन उद्योग की गुणवत्ता बेहतर हो रही है।"
उन्होंने कहा कि यदि अच्छी तरह से सम्भावना का उपयोग किया जाए, तो भारतीय फिल्मकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्म बना सकते हैं।
मेहता मानते हैं कि पारम्परिक फिल्म बनाने की जगह एनीमेशन फिल्म बनाना अपेक्षाकृत सस्ता है। उन्होंने कहा, "यह एक विशाल वैश्विक उद्योग है। भारत को थोड़ा समय लग रहा है। लेकिन मुझे लगता है कि कुछ वर्षो में भारत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एनीमेशन फिल्म बनने लगेंगी।"
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